Thursday, 11 January 2018

दायित्व और कर्तव्य- सन्दर्भ : मानव अनुभव दर्शन

मानव अनुभव दर्शन (अध्याय:3,  संस्करण: 2011, मुद्रण: 2016 , पृष्ठ नंबर: 22)
  • कृतज्ञता, अस्तेय, अपरिग्रह, सत्यभाषण, स्वनारी-स्वपुरूष गमन, सरलता, दया, स्नेह पूर्वक विश्वासपालन, यथार्थ वर्णन, कर्त्तव्यों व दायित्वों का वहन, अधिक उत्पादन कम उपभोग, उत्साह एवं चेष्टा, रहस्यहीनता, सहजता एवं निर्बैरता सुसंस्कारों के लक्षण हैं। लक्षणों के आधार पर ही स्वभाव, तदनुसार ही मूल्यांकन क्रिया है। लक्षण विहीन मानव नहीं है।


स्त्रोत: अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद)
प्रणेता -  श्रद्धेय श्री ए. नागराज 

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